H-1B वीजा शुल्क वृद्धि: भारतीयों की मुश्किलें बढ़ीं, ट्रंप के फैसले से भारत-चीन H-1B वीजा शुल्क वृद्धि: भारतीयों की मुश्किलें बढ़ीं, ट्रंप के फैसले से भारत-चीन पर बड़ा असर
H-1B वीजा और भारतीय परिवार की दुविधा
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक भारतीय महिला का सवाल वायरल हुआ—“क्या मैं अपने H-1B वीजा होल्डर पति को छोड़कर अमेरिकी सहकर्मी से शादी कर लूं ताकि ग्रीन कार्ड आसानी से मिल सके?” यह अजीब जरूर लगता है, लेकिन वीजा से जुड़ी अनिश्चितता ने भारतीय प्रवासियों की निजी ज़िंदगी तक प्रभावित कर दी है।
अमेरिकी नागरिक से शादी करने पर ग्रीन कार्ड के लिए परिवार प्रायोजित वीजा प्रक्रिया काफी सरल हो जाती है, जबकि H-1B वीजा पूरी तरह नौकरी-निर्भर होता है। यही वजह है कि कुछ परिवार अब भविष्य को लेकर असमंजस में हैं।
ट्रंप का बड़ा फैसला: H-1B वीजा शुल्क 1 लाख डॉलर
19 सितंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा शुल्क में भारी इजाफा करने का ऐलान किया। अब इसकी लागत 1,00,000 डॉलर पहुंच गई है, जो पिछले शुल्क से लगभग 50 गुना ज्यादा है।
इस फैसले से भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स में खलबली मच गई है। अमेरिका में बड़ी संख्या में तकनीकी कर्मचारी अब खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
भारतीय आईटी सेक्टर पर असर
– भारत H-1B वीजा का सबसे बड़ा लाभार्थी है, जहां 71% आवेदन यहीं से आते हैं।
– भारत का 283 अरब डॉलर का आईटी सेक्टर, जो 57% रेवेन्यू अमेरिका से अर्जित करता है, अब गंभीर संकट में है।
– आईटी कंपनियां ऑनशोर ट्रांसफर रोककर ऑफशोर डिलीवरी (भारत जैसे देशों में) बढ़ा सकती हैं।
अमेरिकी कंपनियों की नई रणनीति
माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, मेटा, एप्पल और वॉलमार्ट जैसी कंपनियां अब अमेरिकी नागरिकों की भर्ती को प्राथमिकता दे सकती हैं। साथ ही, वे भारत और अन्य एशियाई देशों में ऑफशोरिंग बढ़ाकर लागत संतुलित करेंगी।
चीन पर प्रभाव
चीन लगभग 11.7% H-1B वीजा का उपयोग करता है। हालांकि नुकसान भारत जितना बड़ा नहीं है, फिर भी *टैलेंट मूवमेंट* और *अमेरिकी टेक प्रोजेक्ट्स* पर चीनी पेशेवर भी दबाव महसूस करेंगे।
डॉक्टरों को राहत
अमेरिका के ग्रामीण इलाकों में डॉक्टरों की भारी कमी है। संभावना है कि मेडिकल प्रोफेशनलों को इस शुल्क वृद्धि से आंशिक छूट दी जाए।
नतीजा: अनिश्चित भविष्य
H-1B वीजा केवल नौकरी की अवधि तक वैध होता है। नौकरी छूटने पर 60 दिनों के भीतर नया रोजगार ढूंढना अनिवार्य है, अन्यथा अमेरिका छोड़ना पड़ता है।
ट्रंप के नये फरमान ने भारतीय आईटी सेक्टर, पेशेवरों और उनके परिवारों की चिंता को और गहरा कर दिया है।
निष्कर्ष
H-1B वीजा अमेरिकी सपने का अहम रास्ता माना जाता था, लेकिन बढ़ी हुई फीस और अस्थिरता ने भारतीयों और चीनी तकनीकी पेशेवरों दोनों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। आने वाले समय में ग्रीन कार्ड प्रोसेस, लोकल हायरिंग और ऑफशोर मॉडल अमेरिकी-भारतीय आर्थिक रिश्तों की दिशा तय करेंगे।
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